राष्ट्रपति का बेटा हो या हो मजदूर किसान की संतान सबकी शिक्षा एक समान
Monday, January 21, 2019
Sunday, January 20, 2019
देशहित में शिक्षा का निजीकरण बंद किया जाये और इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायधीश जस्टिस सुधीर अग्रवाल के 18 अगस्त 2015 का फैसला पूरे देश में लागू किया जाये.
एक देश सामान शिक्षा अभियान एवं आशा ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में को सभी के लिए समान शिक्षा की आवश्यकता पर जोर देते हुए जन संवाद का आयोजन किया गया. इस अवसर पर मेहंदीगंज प्राथमिक विद्यालय के बच्चों के साथ संवाद स्थापित कर देश में सभी के सामान शिक्षा के अवसर की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के प्रति बच्चों की ओर से मांग उठाने की अपील की गयी. इस दौरान पोस्टर प्रदर्शनी लगायी गयी जिसमे विभिन्न चित्रों, स्लोगन, कविताओं और नारों के माध्यम से सभी के लिए समान एवं गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा के अवसर की उपलब्धता की आवश्यकता को दर्शाया गया था.
संवाद के मुख बिंदु निम्न रहे
1. माननीय उच्च न्यायालय, इलाहाबाद के न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल के आदेश दिनांक 18 अगस्त 2015 जिसमे कहा गया है कि "सरकारी खजाने से पैसा लेने वाले प्रत्येक व्यक्ति अपने बच्चे को सरकारी विद्यालय में ही पढ़ाएंगे" का अनुपालन कैसे करवाया जाए ?
2. अपने आस-पड़ोस के सरकारी / परिषदीय विद्यालयों को बचाने एवं उसकी गुणवक्ता बेहतर बनाने के लिए विद्यालय में अपनी और समाज की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करना चाहिए की नहीं ?
3. देश के हर बच्चों को अच्छी शिक्षा मुफ्त में मिलना चाहिए अथवा नहीं ?
4. देश में शिक्षा को रोजगारपरक होना चाहिए या नहीं, जो बच्चा पढाई पूरी कर ले उसके लिए रोजगार होना चाहिए या नहीं ?
अभियान के संयोजक दीनदयाल सिंह के कहा कि शिक्षा के बढ़ते बाजारीकरण के कारण आज समाज का एक बड़ा हिस्सा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित हो रहा है, कोई स्पष्ट नीति न होने के कारण सरकारी विद्यालयों की स्थिति क्रमशः दयनीय होती जा रही है. देश में जब कॉमन एजुकेशन सिस्टम ही लागू नहीं है तो फिर किसी भी कोर्स के लिए कॉमन एंट्रेंस एग्जाम कैसे लिया जाता है, इस तरह की भेदभाव की निति को तुरंत बंद करके पूरे देश में समान शिक्षा लागू की जाये और देश के हर बच्चे को पढने के समान अवसर सुनिश्चित किया जाये.
मनरेगा मजदूर यूनियन के संयोजक सुरेश राठौर ने कहा कि सरकारी स्कूलों को प्रायः बदहाल स्थिति में छोड़ दिया गया है यह स्थिति दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्होंने कहा कि जिस प्रकार नवोदय विद्यालयों और केन्द्रीय विद्यालयों में प्रवेश के लिए अभिभावक उत्सुकता दिखाते हैं उसी प्रकार सरकारी प्राथमिक स्कूलों की भी गुणवत्ता में अपेक्षित सुधार होने पर बच्चों के प्रवेश के लिए लोगों का झुकाव होगा.उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार पूंजीपतियों के दबाब में शिक्षा को ब्यापार बनाने पर उतारू है,जबकि प्राचीन काल से ही शिक्षा को सेवा का कार्य माना जाता है ।
अभियान के प्रमुख साथी महेंद्र कुमार ने विद्यालय के अध्यापकों से अनुरोध किया कि अध्यापक लोग भी अपने बच्चों को परिषदीय विद्यालयों में ही भेजे व अपने शिक्षक साथियों पर विश्वाश करें। क्योंकि परिषदीय विद्यालय के अध्यापक प्रशिक्षित है जबकि प्राइवेट विद्यालय के अध्यापक बमुश्किल स्नातकोत्तर पास होते है।
अभियान की तरफ से जारी पोस्टरों एवं हस्ताक्षर अभियान के द्वारा मांग की गयी कि माननीय उच्च न्यायालय के दिनांक 18 अगस्त 2015 का अनुपालन सुनिश्चित कराया जाय और इसे देश के स्तर तक लागू किया जाय. शिक्षा का बजट बढाया जाय. परिषदीय/सरकारी स्कूलों में उच्च स्तर के संसाधन उपलब्ध कराये जांय. सभी सांसद एवं विधायक अपनी निधि से अनिवार्य रूप से कम से कम 30 प्रतिशत धनराशि अपने क्षेत्र के परिषदीय/सरकारी विद्यालयों के संसाधन को उच्च स्तरीय बनाने में व्यय करें. सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी दूर की जाय, शिक्षकों से किसी भी प्रकार का गैर शैक्षणिक कार्य न कराया जाय तथा प्रत्येक सरकारी विद्यालय पर अनिवार्य रूप से लिपिक, परिचारक, चौकीदार और सफाई कर्मी की नियुक्ति हो और सभी के लिए समान शिक्षा की नीति पूरे देश में व्यवहारिकरूप से लागू हो. कार्यक्रम में मुख्य रूप से योगिराज पटेल, महेंद्र, सुरेश, दीन दयाल, रेनू, ओमप्रकाश पटेल,श्यामलाल वर्मा,संतोष गुप्ता,ऋतुपर्ण,श्यामा,नीना जायसवाल आदि लोग मुख्य रूप से शामिल रहे।
17-1-19
सुबह 11 बजे गंगापुर इंटर कालेज
1 बजे से 3 बजे भैरवनाथ इंटर कॉलेज
4 बजे से 5:30 चंदापुर बाजार
18-1 -19
सुबह 11 बजे पूर्व माध्यमिक विद्यालय, पयागपुर
4 बजे से 5:30 तक बेनीपुर बाजार
19-1-19
सुबह 11 बजे से पूर्व माध्यमिक विद्यालय हरसोस
1 बजे से 3 बजे तक मेहदीगंज प्राथमिक विद्यालय
4 बजे से 5:30 तक कोरौता बाजार में
तीन दिन के जन-संवाद कार्यक्रम के मार्फ़त अभियान ने पांच स्कूलों के लगभग 3000 बच्चों के बीच सीधे अपनी बातों को रखा तथा तीन बाज़ार में करीब 2000 लोगों तक अपनी बात को पहुँचाया.
संवाद के मुख बिंदु निम्न रहे
1. माननीय उच्च न्यायालय, इलाहाबाद के न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल के आदेश दिनांक 18 अगस्त 2015 जिसमे कहा गया है कि "सरकारी खजाने से पैसा लेने वाले प्रत्येक व्यक्ति अपने बच्चे को सरकारी विद्यालय में ही पढ़ाएंगे" का अनुपालन कैसे करवाया जाए ?
2. अपने आस-पड़ोस के सरकारी / परिषदीय विद्यालयों को बचाने एवं उसकी गुणवक्ता बेहतर बनाने के लिए विद्यालय में अपनी और समाज की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करना चाहिए की नहीं ?
3. देश के हर बच्चों को अच्छी शिक्षा मुफ्त में मिलना चाहिए अथवा नहीं ?
4. देश में शिक्षा को रोजगारपरक होना चाहिए या नहीं, जो बच्चा पढाई पूरी कर ले उसके लिए रोजगार होना चाहिए या नहीं ?
अभियान के संयोजक दीनदयाल सिंह के कहा कि शिक्षा के बढ़ते बाजारीकरण के कारण आज समाज का एक बड़ा हिस्सा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित हो रहा है, कोई स्पष्ट नीति न होने के कारण सरकारी विद्यालयों की स्थिति क्रमशः दयनीय होती जा रही है. देश में जब कॉमन एजुकेशन सिस्टम ही लागू नहीं है तो फिर किसी भी कोर्स के लिए कॉमन एंट्रेंस एग्जाम कैसे लिया जाता है, इस तरह की भेदभाव की निति को तुरंत बंद करके पूरे देश में समान शिक्षा लागू की जाये और देश के हर बच्चे को पढने के समान अवसर सुनिश्चित किया जाये.
मनरेगा मजदूर यूनियन के संयोजक सुरेश राठौर ने कहा कि सरकारी स्कूलों को प्रायः बदहाल स्थिति में छोड़ दिया गया है यह स्थिति दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्होंने कहा कि जिस प्रकार नवोदय विद्यालयों और केन्द्रीय विद्यालयों में प्रवेश के लिए अभिभावक उत्सुकता दिखाते हैं उसी प्रकार सरकारी प्राथमिक स्कूलों की भी गुणवत्ता में अपेक्षित सुधार होने पर बच्चों के प्रवेश के लिए लोगों का झुकाव होगा.उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार पूंजीपतियों के दबाब में शिक्षा को ब्यापार बनाने पर उतारू है,जबकि प्राचीन काल से ही शिक्षा को सेवा का कार्य माना जाता है ।
अभियान के प्रमुख साथी महेंद्र कुमार ने विद्यालय के अध्यापकों से अनुरोध किया कि अध्यापक लोग भी अपने बच्चों को परिषदीय विद्यालयों में ही भेजे व अपने शिक्षक साथियों पर विश्वाश करें। क्योंकि परिषदीय विद्यालय के अध्यापक प्रशिक्षित है जबकि प्राइवेट विद्यालय के अध्यापक बमुश्किल स्नातकोत्तर पास होते है।
अभियान की तरफ से जारी पोस्टरों एवं हस्ताक्षर अभियान के द्वारा मांग की गयी कि माननीय उच्च न्यायालय के दिनांक 18 अगस्त 2015 का अनुपालन सुनिश्चित कराया जाय और इसे देश के स्तर तक लागू किया जाय. शिक्षा का बजट बढाया जाय. परिषदीय/सरकारी स्कूलों में उच्च स्तर के संसाधन उपलब्ध कराये जांय. सभी सांसद एवं विधायक अपनी निधि से अनिवार्य रूप से कम से कम 30 प्रतिशत धनराशि अपने क्षेत्र के परिषदीय/सरकारी विद्यालयों के संसाधन को उच्च स्तरीय बनाने में व्यय करें. सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी दूर की जाय, शिक्षकों से किसी भी प्रकार का गैर शैक्षणिक कार्य न कराया जाय तथा प्रत्येक सरकारी विद्यालय पर अनिवार्य रूप से लिपिक, परिचारक, चौकीदार और सफाई कर्मी की नियुक्ति हो और सभी के लिए समान शिक्षा की नीति पूरे देश में व्यवहारिकरूप से लागू हो. कार्यक्रम में मुख्य रूप से योगिराज पटेल, महेंद्र, सुरेश, दीन दयाल, रेनू, ओमप्रकाश पटेल,श्यामलाल वर्मा,संतोष गुप्ता,ऋतुपर्ण,श्यामा,नीना जायसवाल आदि लोग मुख्य रूप से शामिल रहे।
जन संवाद कार्यक्रम की रूपरेखा
17-1-19
सुबह 11 बजे गंगापुर इंटर कालेज
1 बजे से 3 बजे भैरवनाथ इंटर कॉलेज
4 बजे से 5:30 चंदापुर बाजार
18-1 -19
सुबह 11 बजे पूर्व माध्यमिक विद्यालय, पयागपुर
4 बजे से 5:30 तक बेनीपुर बाजार
19-1-19
सुबह 11 बजे से पूर्व माध्यमिक विद्यालय हरसोस
1 बजे से 3 बजे तक मेहदीगंज प्राथमिक विद्यालय
4 बजे से 5:30 तक कोरौता बाजार में
तीन दिन के जन-संवाद कार्यक्रम के मार्फ़त अभियान ने पांच स्कूलों के लगभग 3000 बच्चों के बीच सीधे अपनी बातों को रखा तथा तीन बाज़ार में करीब 2000 लोगों तक अपनी बात को पहुँचाया.
पहले दिन के जन संवाद की कुछ तस्वीरें
Tuesday, January 8, 2019
अखबार
इतने सारे,
इतने सारे पेड़ों को काटते हैं लगातार
इतने सारे कारखानों में
इतने सारे मजदूरों की श्रमशक्ति को निचोड़कर
तैयार करते हैं इतना सारा कागज
जिनपर दिन-रात चलते छापाखाने
छापते हैं इतना सारा झूठ
रोज सुबह इतने सारे दिमागों में उड़ेल देने के लिए।
इतने सारे पेड़ कटते हैं
झूठ की खातिर।
इतनी सारी मशीनें चलती हैं
झूठ की खातिर।
इतने सारे लोग खटते हैं महज जिन्दा रहने के लिए
झूठ की खातिर
ताकि लोग पेड़ बन जायें,
ताकि लोग मशीनों के कल पुर्जे बन जायें,
ताकि लोग, जो चल रहा है उसे
शाश्वत सत्य की तरह स्वीकार कर लें।
लेकिन लोग हैं कि सोचने की आदत
छोड़ नहीं पाते
और शाश्वत सत्य का मिथक
टूटता रहता है बार-बार
और वर्चस्व को कभी नहीं मिल पाता है अमरत्व।
इतने सारे पेड़ों को काटते हैं लगातार
इतने सारे कारखानों में
इतने सारे मजदूरों की श्रमशक्ति को निचोड़कर
तैयार करते हैं इतना सारा कागज
जिनपर दिन-रात चलते छापाखाने
छापते हैं इतना सारा झूठ
रोज सुबह इतने सारे दिमागों में उड़ेल देने के लिए।
इतने सारे पेड़ कटते हैं
झूठ की खातिर।
इतनी सारी मशीनें चलती हैं
झूठ की खातिर।
इतने सारे लोग खटते हैं महज जिन्दा रहने के लिए
झूठ की खातिर
ताकि लोग पेड़ बन जायें,
ताकि लोग मशीनों के कल पुर्जे बन जायें,
ताकि लोग, जो चल रहा है उसे
शाश्वत सत्य की तरह स्वीकार कर लें।
लेकिन लोग हैं कि सोचने की आदत
छोड़ नहीं पाते
और शाश्वत सत्य का मिथक
टूटता रहता है बार-बार
और वर्चस्व को कभी नहीं मिल पाता है अमरत्व।
------ कविता कृष्णपल्लवी
Friday, January 4, 2019
प्रथम शिक्षिका सावित्रीबाई फुले जयंती - शिक्षक दिवस के दिन आमसभा
प्रेस-विज्ञप्ति
आज 3 जनवरी 2019 को सावित्री बाई फुले के जन्मदिवस पर,समान शिक्षा आंदोलन,उत्तरप्रदेश एवं एक देश समान शिक्षा अभियान के संयुक्त तत्वावधान में रविदास गेट,लंका,वाराणसी पर पोस्टर प्रदर्शनी,पर्चा वितरण और नुक्कड़ सभा आयोजित हुई।वक्तायो ने क्रांतिकारी, सामाजिक नेता ज्योतिबा फुले की सहधर्मिणी एवं देश की प्रथम शिक्षिका सावित्रीबाई फुले का जीवन परिचय दिया।उनके दलित,वंचित बच्चों को शिक्षित करना,परित्यक्त विधवाओं के लिए सरंक्षण गृह का संचालन, करना,कविता लेखन सब उल्लेखनीय रहा।उनके संघर्ष के साथी रही फातिमा शेख को भी लोगो ने याद किया और 3 जनवरी को शिक्षक दिवस मनाने का संकल्प लिया।साथ ही भारतीय संविधान के अनुसार देश की शिक्षा व्यवस्था लागू करने पर भी वक्ताओं ने चर्चा किया।इसके अलावा 18 अगस्त 2015 को इलाहाबाद हाइकोर्ट के आदेशानुसार उत्तरप्रदेश सरकार से मांग की गई कि सरकार से वित्तीय व्यवश्था प्राप्त करने वाले अपने बच्चों को सरकारी स्कूलो में पढाये।आज के कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रोo चौथीराम यादव और संचालन अफलातून ने किया।सभा मे वक्ताओ में उपस्थिति प्रोo प्रमोद बागड़े,अशीम मुखर्जी,बल्लभाचार्य, डॉ स्वाति,डॉ वहीद अंसारी,डॉ नीता चौबे,महेंद्र कुमार,डॉ मुनीज़ा,संतोष कुमार,चिंतामणि सेठ, दीनदयाल,चौधरी राजेन्द्र जी,डॉ राजेश यादव,डॉ आनंद यादव,रामदयाल,खुर्शीद अनवर,ललित मौर्य,चंचल मुखर्जी,विनय कुमार,पंकज भाई आदि की उपस्थिति रही।
Subscribe to:
Posts (Atom)
समान शिक्षा, बेहतर स्वास्थ्य और सभी के लिए रोजगार के लिए जन संवाद.
साथियों जन संवाद के द्वारा आम जन से समान शिक्षा, बेहतर स्वास्थ्य और सभी के लिए रोजगार के लिए एक संवाद करने के लिए. ये संवाद इसलिए भी जरुरी ...
-
शिक्षा का अधिकार एक आधा अधूरा अधिकार या कहे तो कही न कही शिक्षा को आम लोगों से दूर करने वाला अधिकार है. उसको तो सरकार और न्यायलय लागु कर...
-
एक देश सामान शिक्षा अभियान एवं आशा ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में को सभी के लिए समान शिक्षा की आवश्यकता पर जोर देते हुए जन संवाद का आयोजन ...
-
प्रिय साथी , अभिवादन , आगामी लोकसभा चुनावो के मद्देनजर शिक्षा , स्वास्थ्य और रोजगार (आजीविका) के अधिकार के लिए एक जन संवाद यात...